देश में बागवानी का रकबा काफी बड़ा है और किसान भी बागवानी की ओर आकर्षित हो रहे हैं. बागवानी करने के लिए किसानों के सामने एक बड़ी चुनोती होती है नर्सरी का चुनाव. बागवानी करने वाले किसानों के लिए सही नर्सरी का चुनाव करने में कई दशकों से मदद कर रही है मधुबन फार्म एंड नर्सरी. किस तरीके से यह नर्सरी कार्य कर रही है यह जानने के लिए फसल क्रांति ने इसके निदेशक प्रवीण कसपटे से बात की . प्रवीण कसपटे से उनके शब्दों में जानिए किस तरीके से वह किसानों की मदद कर रहे हैं .
सभी किसान भाईयों को मेरा नमस्कार, मेरा नाम प्रवीण कसपटे है. मै इस कंपनी का निदेशक हूँ और हमारी कंपनी मधुबन फार्म एंड नर्सरी पिछले 40 वर्षों से किसानों को सेवाएँ दे रहे हैं. हम किसानों को मुख्य रूप से सीताफल, अंगूर एवं अन्य बागवानी फसलों की पौध किसानों को उपलब्ध करा रहे हैं . हम पिछले 15 वर्षों से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले सीताफल के पौधों की नर्सरी उपलब्ध करा रहे हैं और यह कार्य हम बड़े स्तर पर कर रहे हैं. सीताफल की नर्सरी के हम मुख्य उत्पादक है. सीताफल की इस किस्म का नाम है छडज्ञ-ळवसक यह किस्म हम देश के 20 से अधिक राज्यों में किसानों को उपलब्ध करा रहे हैं. इसके अलावा इसकी मांग विदेशों में भी है. इसकी बेहतर गुणवत्ता की वजह से इसका अन्य देशों में भी एक्सपोर्ट किया जाता है. यदि इस किस्म की गुणवत्ता की बात करें तो सामान्य सीताफल के मुकाबले इसमें बहुत खुबिया है. सामान्य सीताफल के मुकाबले इसका वजन ज्यादा होता है. इसकी उच्च गुणवत्ता और वजनदार फल होने के चलते इससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है.
इसी वजह से इसका दुसरे देशों में निर्यात भी किया जाता है. जिसके चलते इसकी मांग अधिक होती है. मै बताना चाहूँगा कि किसानों को इसमें सिर्फ 6 महीने मेहनत करनी होती है. इसमें लागत भी बहुत कम आती है. सीताफल के पौधों की बागवानी करके अच्छी आय ले सकते हैं. इसका पौधा एक बार लगाने के बाद 50 से 60 वर्ष तक फल देता है. चूँकि सीताफल स्वस्थ के लिए एक अच्छा फल है तो इसकी मांग बनी रहती है. यदि सीताफल को अपने खाने में शामिल करते हैं तो यह हमारे शारीर में कैल्शियम की पूर्ती करता है . सीताफल की इस किस्म की बागवानी करने वाले किसान 1 एकड़ में 10 टन तक फसल निकाल लेते हैं, जिससे किसान को करीब करीब 1 एकड़ में सालाना 4 से 5 लाख तक की आमदनी हो जाती है. इसके पौधों की सबसे अधिक मांग मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में है. धीरे धीरे अन्य राज्यों में भी इसके पौधों की मांग बढती जा रही है. हम किसानों को लगातार इसकी खेती के बारे में जागरूक करते रहते हैं. इसके लिए हम किसानों से अलग अलग तरीके से संपर्क करते हैं. किसानों को सीताफल की बागवानी का प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराते हैं.
इससे किसानों को फायदा मिलता है. मैं किसान भाईयों को कहना चाहूँगा कि एक बार किसान हमारा फार्म अवश्य विजिट करें हम उनको सीताफल की 42 किस्में दिखायेंगे, यदि कोई किसान हमसे प्रशिक्षण लेना कहते हैं तो हम उनको प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराएँगे. किसान इसकी खेती से बहुत अच्छा मुनाफा ले सकते हैं, क्योंकि इसकी लागत बहुत कम और आय अधिक है. यदि इसकी लागत बात की जा तो इसमें 1 एकड़ में लगभग 450 पौधे लगते हैं. इन पौधों की लागत लगभग 20000 से 22000 रूपये आती है और कुल लागत लगभग 50000 रूपये आती है और दो साल में इस पर अच्छा फसल उत्पादन आना शुरू हो जाता है. यह एक ऐसी खेती है जिससे किसानों की आय कई गुना तक बढ़ सकती है.